१. संज्ञा
/ निर्जीव
/ अमूर्त
/ गुणधर्म
    संज्ञा
/ निर्जीव
/ वस्तु
/ मानवकृति
अर्थ : पाणिनीय व्याकरण में गुण, वृद्धि, प्रत्याहार आदि के लिए उपयोगी एक सांकेतिक वर्ण, जो धातु, प्रत्यत आदि में रहता है पर उसका लोप हो जाता है।
उदाहरण :
माहेश्वरी सूत्र के ण्, ञ्, ङ् आदि अनुबंध कहलाते हैं।
पर्यायवाची :
अनुबंध, अनुबन्ध