अर्थ : वह कर्म जो ब्राह्मण के लिए उचित न हो।
उदाहरण :
अब्रह्मण्य करते हुए तुम्हें लज्जा नहीं आती?
अर्थ : वह जो ब्राह्मणनिष्ठ न हो।
उदाहरण :
मैं अब्रह्मण्य की संगति से दूर रहना चाहता हूँ।
अर्थ : हिंसा आदि कर्म।
उदाहरण :
अब्रह्मण्य में लिप्त व्यक्ति अशांत रहता है।
अर्थ : जो ब्राह्मण के करने के योग्य न हो।
उदाहरण :
वह अब्रह्मण्य कर्म करने में थोड़ा भी नहीं हिचकता।