राज-काज (संज्ञा)
वह नियम अथवा व्यवस्था जिसके अनुसार प्रजा के शासन का विधान किया जाता है।
अजन्मा (विशेषण)
जिसने योनि से जन्म न लिया हो।
ठौर-ठिकाना (संज्ञा)
किसी के रहने या मिलने के स्थान को सूचित करनेवाली वह बात जिससे किसी तक पहुँचा जाए या किसी को पा सकें।
अनुचित (विशेषण)
जो संगत या उचित न हो।
कसौटी (संज्ञा)
योग्यता, विशेषता, सामर्थ्य, गुण आदि जानने के लिए अच्छी तरह से देखने या परखने की क्रिया या भाव।
मोद (संज्ञा)
मन का वह भाव या अवस्था जो किसी प्रिय या अभीष्ट वस्तु के प्राप्त होने या कोई अच्छा और शुभ कार्य होने पर होता है।
आवेदन (संज्ञा)
वह पत्र जिसमें किसी से कुछ याचना की गई हो।
जन्मा हुआ (विशेषण)
जो पैदा हुआ हो या जिसने जन्म लिया हो।
प्राधान्य (संज्ञा)
श्रेष्ठ या मुख्य होने की अवस्था या भाव।
व्यंजन (संज्ञा)
चावल, रोटी आदि के साथ खाये जाने वाले पदार्थ।