प्रतिज्ञा-पत्र (संज्ञा)
वह पत्र जिसपर किसी प्रकार का इक़रार और उसकी शर्तें लिखी हों।
बर्खास्त (विशेषण)
(अधिवेशन, बैठक, सभा आदि के संबंध में) समाप्त किया हुआ या जिसका विसर्जन हो चुका हो।
अन्तःपुर (संज्ञा)
शरीर की वह आंतरिक अमूर्त सत्ता जिसमें भले-बुरे का ठीक और स्पष्ट ज्ञान होता है।
रहम (संज्ञा)
मन में स्वतः उठने वाली वह मनुष्योचित भावना या वृत्ति जो किसी का कष्ट, दुख देखकर उत्पन्न होती है।
पैगंबर (संज्ञा)
वह जो ईश्वर का संदेश लेकर मनुष्यों के पास आने वाला माना जाता हो (विशेषकर मुस्लिम)।
विद्वान (विशेषण)
जिसने बहुत अधिक विद्या अर्जित की हो।
माणिक्य (संज्ञा)
एक रत्न जिसकी गिनती नौ रत्नों में होती है।
कांपना (क्रिया)
शरीर में एक प्रकार की सिहरन महसूस होना।
शिवालय (संज्ञा)
वह मंदिर जिसमें भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की गई हो और जहाँ शिव की आराधना की जाती हो।
मदन (संज्ञा)
एक देवता जो काम के रूप माने जाते हैं।