अर्थ : नाद की दूसरी अवस्था जिसमें सूक्ष्म ध्वनियाँ या नाद, वाक् को उत्पन्न करनेवाली वायु के मूलाधार से उठकर हृदय में पहुँचने पर होता है।
उदाहरण :
पश्यंती गहन वाणी होती है।
पश्यंती मध्यमा की पूर्व अवस्था है।
पर्यायवाची : पश्यंती
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