अर्थ : अग्निहोत्र की राख जिसे शिव भक्त माथे पर लगाते और शरीर पर मलते हैं।
उदाहरण :
साधु बाबा भस्म लगाकर साधना में लीन हैं।
अर्थ : वैद्यक में औषध की तरह काम में लाने के लिए धातुओं आदि का वह रूप जो उन्हें विशिष्ट क्रियाओं से फूँकने पर प्राप्त होता है।
उदाहरण :
च्यवनप्राश में सोने, चाँदी आदि का भस्म भी मिलाया जाता है।